Knowledge" is Fountain and the small slit from which the parabolic water stream coming is the "Intelligence"... "Intelligence" can be God gifted but "Knowledge" are framed here only... The person seeping into knowledge fountain...Have the bliss to get trick to Fabricate the Luck Gemstone..And too create the fringes in the vast sky..which provide the wrapper to save itself from natural havoc..It Just an energy to plunge the oyster for receiving pearl from it..!!
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Sunday, November 16, 2014
रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद
रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद के बीच एक दुर्लभ संवाद आपसे शेयर कर रहा हूँ....हो सकता है जीवन जीने का कुछ नया नज़रिया मिल जाए....या फिर मिल जाए कुछ चुनिन्दा प्रश्नो के व्याख्यान...गौर से पढ़िएगा पूरा पढ़िएगा...!!!
रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानंद के बीच एक दुर्लभ संवाद
स्वामी विवेकानंद : मैं समय नहीं निकाल पाता. जीवन आप-धापी से भर गया है.
रामकृष्ण परमहंस : गतिविधियां तुम्हें घेरे रखती हैं. लेकिन उत्पादकता आजाद करती है.
स्वामी विवेकानंद : आज जीवन इतना जटिल क्यों हो गया है?
रामकृष्ण परमहंस : जीवन का विश्लेषण करना बंद कर दो. यह इसे जटिल बना देता है. जीवन को सिर्फ जिओ.
स्वामी विवेकानंद : फिर हम हमेशा दुखी क्यों रहते हैं?
रामकृष्ण परमहंस : परेशान होना तुम्हारी आदत बन गयी है. इसी वजह से तुम खुश नहीं रह पाते.
स्वामी विवेकानंद : अच्छे लोग हमेशा दुःख क्यों पाते हैं?
रामकृष्ण परमहंस : हीरा रगड़े जाने पर ही चमकता है. सोने को शुद्ध होने के लिए आग में तपना पड़ता है. अच्छे लोग दुःख नहीं पाते बल्कि परीक्षाओं से गुजरते हैं. इस अनुभव से उनका जीवन बेहतर होता है, बेकार नहीं होता.
स्वामी विवेकानंद : आपका मतलब है कि ऐसा अनुभव उपयोगी होता है?
रामकृष्ण परमहंस : हां. हर लिहाज से अनुभव एक कठोर शिक्षक की तरह है. पहले वह परीक्षा लेता है और फिर सीख देता है.
स्वामी विवेकानंद : समस्याओं से घिरे रहने के कारण, हम जान ही नहीं पाते कि किधर जा रहे हैं...
रामकृष्ण परमहंस : अगर तुम अपने बाहर झांकोगे तो जान नहीं पाओगे कि कहां जा रहे हो. अपने भीतर झांको. आखें दृष्टि देती हैं. हृदय राह दिखाता है.
स्वामी विवेकानंद : क्या असफलता सही राह पर चलने से ज्यादा कष्टकारी है?
रामकृष्ण परमहंस : सफलता वह पैमाना है जो दूसरे लोग तय करते हैं. संतुष्टि का पैमाना तुम खुद तय करते हो.
स्वामी विवेकानंद : कठिन समय में कोई अपना उत्साह कैसे बनाए रख सकता है?
रामकृष्ण परमहंस : हमेशा इस बात पर ध्यान दो कि तुम अब तक कितना चल पाए, बजाय इसके कि अभी और कितना चलना बाकी है. जो कुछ पाया है, हमेशा उसे गिनो; जो हासिल न हो सका उसे नहीं.
स्वामी विवेकानंद : लोगों की कौन सी बात आपको हैरान करती है?
रामकृष्ण परमहंस : जब भी वे कष्ट में होते हैं तो पूछते हैं, "मैं ही क्यों?" जब वे खुशियों में डूबे रहते हैं तो कभी नहीं सोचते, "मैं ही क्यों?"
स्वामी विवेकानंद : मैं अपने जीवन से सर्वोत्तम कैसे हासिल कर सकता हूँ?
रामकृष्ण परमहंस : बिना किसी अफ़सोस के अपने अतीत का सामना करो. पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने वर्तमान को संभालो. निडर होकर अपने भविष्य की तैयारी करो.
स्वामी विवेकानंद : एक आखिरी सवाल. कभी-कभी मुझे लगता है कि मेरी प्रार्थनाएं बेकार जा रही हैं.
रामकृष्ण परमहंस : कोई भी प्रार्थना बेकार नहीं जाती. अपनी आस्था बनाए रखो और डर को परे रखो. जीवन एक रहस्य है जिसे तुम्हें खोजना है. यह कोई समस्या नहीं जिसे तुम्हें सुलझाना है. मेरा विश्वास करो- अगर तुम यह जान जाओ कि जीना कैसे है तो जीवन सचमुच बेहद आश्चर्यजनक है.
श्रोत-इंटरनेट
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