अगर हर दिन मरना हो तो सोचता हूँ आख़िर कोई कितनी बार मर सकता है. आख़िर मरने की भी एक हद होती है....मगर नहीं...यह भोपाल वाले भी तो अभिशप्त हैं.
भारत के मध्य प्रदेश राज्य के भोपाल शहर मे 3 दिसम्बर सन् 1984 को एक भयानक औद्योगिक दुर्घटना हुई। इसे भोपाल गैस कांड, या भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कम्पनी के कारखाने से ए
क हानिकारक गैस का रिसाव हुआ जिससे लगभग 15000 से अधिक लोगो की जान गई तथा बहुत सारे लोग अंधापन के शिकार हुए। भोपाल गैस काण्ड में मिथाइल आइसो साइनाइड नामक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था।
और इसी डाऊ जोंस ने यूनियन कार्बाइड को अधिगृहित किया था पर जब भोपाल गैस कांड हुवा तो इसने हर्जाना देने से साफ़ इनकार कर दिया..और ऐसी कंपनी जब ओलंपिक जैसे खेलो को स्पोंसर करेगी तो जाहिर सी बात हैं भारतवासियों को कष्ट तो होगा ही..
आखिर सरकार हमारे दर्द को समझती क्यूँ नहीं हर बार ही मजाक क्यूँ बनवा देती हैं हमारे भारतवर्ष का...
भारत के मध्य प्रदेश राज्य के भोपाल शहर मे 3 दिसम्बर सन् 1984 को एक भयानक औद्योगिक दुर्घटना हुई। इसे भोपाल गैस कांड, या भोपाल गैस त्रासदी के नाम से जाना जाता है। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड नामक कम्पनी के कारखाने से ए
क हानिकारक गैस का रिसाव हुआ जिससे लगभग 15000 से अधिक लोगो की जान गई तथा बहुत सारे लोग अंधापन के शिकार हुए। भोपाल गैस काण्ड में मिथाइल आइसो साइनाइड नामक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था।
और इसी डाऊ जोंस ने यूनियन कार्बाइड को अधिगृहित किया था पर जब भोपाल गैस कांड हुवा तो इसने हर्जाना देने से साफ़ इनकार कर दिया..और ऐसी कंपनी जब ओलंपिक जैसे खेलो को स्पोंसर करेगी तो जाहिर सी बात हैं भारतवासियों को कष्ट तो होगा ही..
आखिर सरकार हमारे दर्द को समझती क्यूँ नहीं हर बार ही मजाक क्यूँ बनवा देती हैं हमारे भारतवर्ष का...
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