यही तो चला रहे देश और उड़ा रहे हमारे दैविक-संसाधन....
बड़ी बात यह है की तीनों को ही हम जैसो की ज़रूरत है ....!!!
फिल्म-स्टार....
सबसे ज्यादा अगर मैं अपने समाज मे किसी से दुखी हूँ तो वो है फिल्म-स्टार....इतने ज्यादा पैसे मे खेलते पर देश की तरक्की मे भागीदारी की बात की जाएगी तो शायद ही कोई दिखेगा....!!!
आखिर फिल्म-स्टार कौन बनाता हम ही बनाते....अगर हम इनकी फिल्मे देखना छोड़ देंगे तो ये बड़े जल्द कंगाल हो जाएंगे....!!!
उद्योगपति....
फिर नंबर आता है उद्योगपतियों का...अगर ये मजदूर वर्ग काम करना त्याग दे बहिसकार कर दे तो ये भी पलटी-खा जाएंगे...हम सब मजदूर वर्ग ही है...समय ने मजदूरी के मायने बदल दिये है बस....ये डोक्टर...ये इंजीनियर सभी मजदूर ही है....इनके सपने खुद के नहीं होते....ये तो दिहाड़ी पर काम करते....अंतर बस ये है की रोज़ दिहाड़ी के बजाए महीने के अंत मे ले जाते....!!!
राजनीतिज्ञ....और सबसे निचले स्तर पर अगर कोई गिर गया है तो वो है राजनीतिज्ञ...और जनता ही सबसे ज्यादा प्रभावित करती इन्हे फिरभी तो इन्हे डर नहीं जानते है....भोली जनता है आसानी से मूर्ख बना लेंगे.... और फिर तो खेत अपना 5 साल तक काटेंगे....!!!
ये तो इनवेस्टमेंट करते जो सूद समेत वापस लेने का खाका भी बना लेते....!!!
आज तो सब इतने घुल मिल गए है पता ही नहीं चलता कौन फिल्म-स्टार...कौन उद्योगपति....और कौन राजनीतिज्ञ....
सोचिएगा....आराम से....
सौजन्य से: मजदूर वर्ग
मिश्रा राहुल
(ब्लोगिस्ट एवं लेखक)
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