ज़िंदगी मे सबसे ज्यादा खुशी Gadget खातिर तब हुई थी जब मेरा नया नया पीसी आया था....एक धूधली सी याद है शायद ठंड का महीना था बरस 2003 रहा होगा....आम तौर पर उस समय किसी के यहा कम्प्युटर नहीं होता था....लोग बस देखने आते थे आखिर कम्प्युटर होता कैसा....दिखता कैसा....चलता कैसा....!!!
थोड़ी सी याद जो बची हैं उसमे आती कि मेरे घर से मार्कट कम से कम 8 किलोमीटर दूर था....उधर पिताजी ने टेलीफ़ोन किया कि हम आ रहे हैं और उसी वक़्त से खुशी के मारे इतने तन रहे थे....बस आ जाये चलाये तो देखे तो आखिर ये होता कैसा.....जैसे जैसे पिता जी देरी करते हम बार बार उन्हे कॉल कर पूछते....वो भी एक बारगी भी झल्लाए नहीं जैसे मेरी मनोस्थिति उन्हे पहले से ज्ञात हो गयी थी....!!!
उसके बाद तो Gadget बहुत सारे आते गए हम भी देखते गए पर उस जैसी खुशी ना मिली आजतक....एहसास था एक अलग सा बयान नहीं कर सकता....!!!
मिश्रा राहुल
(फ्रीलान्सर लेखक)
(जीवन के खुशनुमार पन्नो मे से एक)
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