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Tuesday, October 1, 2013

बापू बड़े की काका.....तुलनात्मक अध्यन

तुलनात्मक अध्यन हर बार जरूरी नहीं....ये अक्सर बात अड़ जाती आज २ अक्तूबर के दिन....शास्त्री बड़े की गांधी.....किसी नतीजे पर निकल नहीं सकते....दो महानतम पुरुषो मे तुलना हो ही नहीं सकती...एक ओर वो हैं जिन्होने अपनी ज़िंदगी देश की आजादी पर लगा दी....दूसरी तरफ शास्त्री जी जिन्होने रेल मंत्री का इतना बड़ा पद बस इस वजह से त्याग दिया की उनके कार्यकाल मे रेल दुर्घटना कैसे हो गयी.....!!!
जो लोग अनर्गल टिप्पड़ी करते महापुरुषों पर उनको मेरा एक सलाह/मशवरा हैं कि थोड़ा रद्दी मे पड़ी अपनी धूल लगी इतिहास कि एनसीईआरटी उठा कर मनन करे....कुछ सदबुद्धि पनपेगी....!!
चलो पूरा ना सही अपना जीवन धन्य करने के लिए उनका गांधी तिलिस्म....जाने दो किताब उठाने की मैं यही पढ़ा देता हूँ....!!
"I will give you a talisman. Whenever you are in doubt, or when the self becomes too much with you, apply the following test. Recall the face of the poorest and the weakest man [woman] whom you may have seen, and ask yourself, if the step you contemplate is going to be of any use to him [her]. Will he [she] gain anything by it? Will it restore him [her] to a control over his [her] own life and destiny? In other words, will it lead to swaraj [freedom] for the hungry and spiritually starving millions?
Then you will find your doubts and your self melt away."
- One of the last notes left behind by Gandhi in 1948, expressing his deepest social thought.
मिश्रा राहुल
(फ्रीलांसर रायटर)

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