संविधान:
चलो निकल आए तो कुछ झंडे....जिन्हे आजकल लोग बस आंदोलनो की शोभा बढ़ाने मे अक्सर चलाया करते है....!!!फिर आ गया त्योहार....देश-भक्ति भी उनती ही देर रहती जितनी देर घी के लड्डू खाये छोटे बच्चे उछलते-कूदते जय-हिन्द के नारे लगाते....!!!
खैर संविधान निर्माताओं ने ये पहले ही साफ कर दिया था की अगर निष्ठा उचित होगी तो ये संविधान काफी कुछ देगा....पर निष्ठा ही संदिग्ध है आजकल तो....!!!
कभी कुछ बदल गया कुछ वर्षो मे....काफी कुछ अर्जित भी किया है हमने....हर क्षेत्र मे झंडे गाड़े है.....पर देश-भक्ति की कमी है....शायद अब भी....अपने स्तर से शुरुआत ही एक अच्छी पहल होगी....आप अपने क्या है....उंगली ना उठाए किसी पर....जब तक आप उस काबिल ना हो जाए....खुद कुछ करने की कोशिश जारी रहे....!!!
अच्छी बातों का अनुसरण जरूर करे निरर्थक तर्क-वितर्क कुछ नहीं बनाता....आप अपने गली-मुहल्लों से प्रगति की शुरुआत करे....अपने ज्ञान का विस्तार करे...खाली समय मे कुछ लोगो को आप अपने अच्छे विचार शेयर करे....अच्छे लोगो की तारीफ से कतराएँ नहीं....उनके काम की आलोचना पार्टी-वाद मे ना करे....हमारा क्या काम है बस हम उसे ना भूले........युवाओ को उत्साहित करें....!!!
वो ही है जो एक स्वच्छ....आधार-भूत....भारत का निर्माण कर सकते हैं....!!
आग भी है शोले भी हैं....
हम बारूद के गोले भी हैं....
रण ही ठहर गया खुद....
छाती बदन तो खोले ही हैं....!!!
- गणतन्त्र दिवस की शुभकमानाएँ
(जय हिन्द)
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (27-01-2014) को "गणतन्त्र दिवस विशेष" (चर्चा मंच-1504) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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६५वें गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'