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नमस्कार पाठको,
विडम्बना कैसी क्या बताए...ओसामा बिन लादेन...दाऊद इब्रहीम का शरणदाता...हाफ़िज़ सईद जयसो का पालनकर्ता को आज क्या सूझ गयी बम धमाको मे शामिल लोगों को फांसी देने की...!!
वो जिसकी पहचान तक संदिग्ध थी...सरबजीत को मंजीत सिंह बना दिया...वाह रे...!!
रास्ता भटक जाते मछुवारे...अनजाने मे सरहद पार कर जाने वाले बेगुनाह... या फिर सरकार द्वारा भेजे गए जासूस...इन अभागे नागरिकों का क्या इनमे सरकार पर दबाओ बनाने की ताकत नहीं होती...शायद इनका वोट बैंक नहीं होता...राजनीति के लहजे मे...!!
खैर जो भी हो अब वो वापस तो आ नहीं सकते पर अभी भी पाकिस्तानी जेलो मे बंद कैदियों की तो सुरक्षा सुनिश्चित कर ले सरकार...!!
जैसे को तैसा करने मे हमारा ही नुकसान हैं हमे प्रगति करना हैं पाकिस्तान को नहीं...सो हम उनका मुकाबला नहीं कर सकते...!!
समझदारी और बहादुरी मे काफी बारीकियाँ होती उसको पहचाने सरकार भी और हाँ नागरिक भी...!!
मिश्रा राहुल
(ब्लोगिस्ट एवं लेखक)
जब तीन यार मिल जाएँ तो होगा धमाल
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