एक और इंजिन बन चुका हैं....
गाड़ी भारत की ऊंची नीची सड़कों पर दौड़ने के लिए बिलकुल तैयार हैं...!!!
पर क्या वाकई मे भारत वर्ष को एक अनुभवी इंजीनियर के आवश्यकता हैं...रुकिए एक उदाहरण देके समझाते हैं...!!!
भारत की पुरानी आदत हैं कि यहाँ बिना गठजोड़ के कोई काम नहीं होता...चाहे वो हीरो के साथ होंडा हो या टाटा के साथ मार्कोपोलो...!!!
मतलब साफ हैं हम तकनीक विकसित करने से ज्यादा उसे मगाने और अससेंबल करने मे विश्वास रखते....!!
नहीं तो क्या हीरो को अपनी काबलियत समझाने के लिए 5 साल कि बढ़ी वारंटी का सहारा ना लेयना पड़ता...क्यूंकीलोग जानते होंडा के जाने से हीरो तकनीक रूप से पिछड़ गया हैं...!!!
या यूं कहे लोग तो अब मानने भी लगे हैं कि भारत मे जनमी कंपनी थोड़ी पिछड़ी ही होगी...!!
अब अगर आप सारे तकनीक बाहर से आयात करेंगे तो हमारे यहा के इतने सारे इंजीनियर क्या घास छीलेंगे...!!!
और हाँ शायाद यही सबसे बड़ी वजह हैं की एक इंजीनियर का हमारे देश मे अवसरो की भारी कमी हैं एक सैमसंग हैं जो 60 फीसदी सीधा रिसर्च और डेव्लपमेंट मे लगाता हैं और यहा तो आर एंड डी बस गिनी चुनी कंपनियों के बाँट जो रहा...!!!
मिश्रा राहुल
(ब्लोगिस्ट एवं लेखक)
जब तीन यार मिल जाएँ तो होगा धमाल
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