पाइथागोरस प्रमेय...!!!
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हाँ आज अचानक पाइथागोरस प्रमेय याद आ गया...आज के युवा को पता ही नहीं की उसकी गाड़ी किधर को जा रही...वह हर बार विस्थापान के जगह दूरी तय करता....इतना ही नहीं दूरी तय करते वक़्त मझधार मे ही इतना भटक जाता की मंज़िल उससे कोसों दूर चली गयी होती और वो सिर्फ मृग मरीचिका के चक्कर काट खुद को बड़ा सहज महसूस कर रहा होता...!!
आज हर घर मे जरूरत हैं एक अच्छे सलाहकार की जो ना केवल बाह्य ज्ञान मे पारंगत हो बल्कि उस घर मे उसकी प्रतिष्ठा काफी उम्दा हो...आम तौर पर यह काम घर के बड़े गार्जियन करते आए हैं... पर आज के बड़ी तेज़ी से परिवर्तन के युग मे उनकी सोच थोड़ी धूमिल हो गयी हैं .... वे बस डॉक्टर...इंजीनियर...वकील...तक ही सोच पाते...जबकि इनसे अलग भी दुनिया हैं और तो और काफी लोग इनसे अलग भी अपनी छाप छोड़े हैं...!!
पर क्या कहे...जब हमने भी अपने अनुज को कड़ी से हट के कुछ कराना चाहा तो जाने कितने तरीके की दलीलों का सामना करना पड़ा...खैर अब घर शांत हैं और अनुज आराम से एरेना एनिमेशन मे अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा रहा...!!
नौकरी पाना ना पाना...अलग बात हैं और किसी की प्रतिभा से खिलवाड़ अलग...पर भारत वर्ष के लोग बड़े व्यापारी हैं...वे कोर्स दिलाने से पूर्व उसकी नौकरी दिलाने के साख जरूर देखते...!!
आप समझ रहे होंगे यह घर घर की कहानी हैं हम कुछ नया नहीं बखान कर रहे...!!
मिश्रा राहुल
(ब्लोगिस्ट एवं लेखक)
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