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डिग्री मे अगर वजन नहीं रखना फिर समय क्यूँ लगाते....परंपरागत पाठ्यक्रम से हटकर कुछ करना नहीं...खाली कागज के रंग बिरंगे टुकड़े कितनी खैरियत पूछते आपसे....!!!
आज की रेस मे घोड़े को खिला रहे पाँच साल पहले की डाइट....और उम्मीद रख रहे की जैकपॉट आपके लगे...ये कहाँ तक चलेगा...!!!
बड़े धड़ल्ले से यूनिवर्सिटी खुल रही...हर कॉलेज यूनिवर्सिटी बनाने की जुगत मे लग गए हैं....संसाधन के अभाव मे जाने-अनजाने गलत जगहो पर दाखिले ले रहे छात्र अभी ये तक नहीं जानते की आखिर ये कॉलेज कहाँ तक उनकी जेबों खातिर लक्ष्मी मना पाएंगे....!!!
हर कोई शत-प्रतिशत प्लेसमेंट की दलील देता....मैं रोज़ अखबारों मे उनकी करतूतों को देखता हँसता भी पर आखिर कब तक ये युवा वर्ग जागेगा...और लड़ेगा अपने हक़ की लड़ाई....!!!
आई हेट पॉलिटिक्स....वाले बंदो को भी ज़रा राजनीति समझानी होगी....!!!
मिश्रा राहुल
(ब्लोगिस्ट एवं लेखक)
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