किताब आने पर लोगों को बस ये पता की रोबर्ट गेलब्रेथ ने लिखी हैं...किताब अप्रैल मे बाजार को दस्तक दी...किसी ने पढ़ने मुनासिब नहीं समझा....!!
पर अचानक सनडे टाइम्स की पड़ताल के बाद मार्केट से भगाई गयी किताब सीधा बेस्टसेलर हो गयी....इन सबके पीछे क्या हैं...क्या उसमे अंदर छिपे भाव बदल गए...या लेखक से दुबारा उसे रेवाइज़ किया....????
कुछ नहीं हुआ ऐसा ना बस जुड़ा तो कौन....जेके रौलिंग....क्या यही हैं साहित्य का अंत....???
पहले लोग लेख पढ़ने से पूर्व लेखक का नाम उसकी स्वाद पहचानने खातिर देखते थे....पर आज लेखक ही लेखक देखते...!!
शायद शीर्षक भी नहीं...!!
ये जेके रौलिंग....सनडे टाइम्स की मिली भगत थी या जो भी था पर विश्व साहित्य पर ये दाग अमिट हो गया...!!!
मिश्रा राहुल
(ब्लोगिस्ट एवं लेखक)
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