सभी विशेषण फीके हैं आज अरविंद केजरीवाल के सामने.....गत वर्ष नवंबर मे उभरी "आम आदमी पार्टी" ने अपने नाम अनुरूप ही छाप छोड़ा....और बन गयी आम आदमी की पार्टी.....!!!
इस नतीजे से एक बात तो साफ हो गया है कि आज का युवा वर्ग अब विदेशो की तरह एक सशक्त.....ऊर्जावान....बुद्धिजीवी....हो चुका हैं और इसका सीधा सा मतलब हैं कि आज वो पार्टी ने 1985 मे जन्मे काँग्रेस पार्टी को मात दी....जिसे कई राजनीति दिग्गजों ने यह चेतावनी दे कर फटकारा था कि "यहाँ अनशन करने से जीत नहीं मिलती....उसके लिए लोगों का वोट पाना पड़ता....!!"
और जब एक आग की चिंगारी फिसल कर रास्ता बदल देती तो उसे बगल के पड़े कई कुंटल गट्ठर फूकने मे बस मामूली सा समय लगता....!!!
इतिहास पर अगर ज़रा प्रकाश डाले तो.....केजरीवाल साहब हमे बिलकुल लोकबंधु राजनारायण और जार्ज फर्नाडिस की छवि मे दिखते हैं.....!!!
एक तरफ जहां 1977 के आम चुनावों में राजनारायण ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनके गढ़ रायबरेली में जिस बुरी तरह हराया था.....वहीं दूसरी तरफ अपने जमाने के तेजतर्रार ट्रेड यूनियन लीडर जार्ज फर्नाडिस ने 1967 के चौथे आम चुनाव में मुंबई के कद्दावर व अपराजेय माने जाने वाले कांग्रेस नेता एसके पाटिल को हराया था....!!!
केजरीवाल जी बिलकुल जार्ज फर्नाडिस जी की तरह ही शुरू से शीला दीक्षित पर आक्रामक तरीके से हमला बोलना शुरू कर दिया। चुनावों के दौरान 'दिल्ली में इस बार चलेगी झाड़ू' और 'ईमानदार बनाम बेइमान' और 'पहले लड़ा गोरों से अब लड़ेंगे चोरों से' जैसे आकर्षक नारे दिए और उनका जादू चल गया.....!!!
- मिश्रा राहुल
(ब्लोगिस्ट एवं लेखक)
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