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Thursday, December 19, 2013

पासवर्ड का जंजाल


इंटरनेट के आने से इतने सारे डाटा एकत्रित हो गए है....की अब तो लगता है दिमाग मे भी एक यूएसबी पोर्ट इन्स्टाल कराना पड़ेगा.....!!!
मैं यह नहीं समझ पाता आखिर हर वैबसाइट वाले अपनी अलग यूसर-नेम आईडी क्यूँ बनवाते.....जबसे हमने इंटरनेट चलाना शुरू किया....तबसे अभी तक हमारे अनुमान हिसाब से दो-ढाई हज़ार आईडी बनाया हूंगा....कितने तो याद ही नहीं रहते....!!!
अब रोज़ तो नए नए सोश्ल नेटवर्क जनम ले रहे....और उनसब पर अकाउंट बनाना भी जरूरी है....वरना सोसाइटी मे इज्जत का फ़ालूदा हो जाएगा....कि मिश्रा जी तो इन्स्टाग्राम पर नहीं हैं....काहे के वो टेक्नालजी एक्सपेर्ट हैं.....!!!
पर जितनी ज़रूरी उसपर आईडी बनाना होता शायद उसको इस्तेमाल करना उतना ही कम.....तभी तो हमारे कल फ्रेंड लिस्ट खँगालने पर पता चला कि आधे से ज्यादा लोगों ने तो एक-डेढ़ साल से कोई एक्टिविटी नहीं की है.....बस वो यहाँ इसलिए विराजमान हैं की कल को कोई यह ना कह दे महोदय आपको ढूंढा फेसबुक पर काफी पर आप मिले नहीं.....!!!
अब जितनी प्रोफ़ाइल अकाउंट उतने ही ज्यादा पासवर्ड.....बैंक के अकाउंट से लेकर गॅस अकाउंट तक.....बिजली बिल के अकाउंट से लेकर टेलीफ़ोन बिल अकाउंट तक....अब मुसीबत यह की पासवर्ड क्या बनाए....अब तो पासवर्ड वाले भी बिना कैपिटल....स्माल....सिम्बल.....की चासनी पिये हजम नहीं करते....!!!
बड़ी दिक्कत....पासवर्ड चलो बन तो गया....हरे रंग का सिग्नल भी आ गया पर अब तो इसे अगले महीने खोलना रहता....शायद तब तक भूल ही जाता...अब लोग को पासवर्ड से ज्यादा पासवर्ड रिकवर करने वाले सवाल जेहन मे रखते....!!!
क्या करे आखिर ये पासवर्ड का जंजाल है भी तो बड़ी समस्या......!!!
- मिश्रा राहुल
(ब्लोगिस्ट एवं लेखक)

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