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Sunday, December 1, 2013

ब्लॉगर


फेसबुक के आने से लोगों की थोड़ी चहलकदमी कम हो गयी ब्लॉग पर वरना एक समय ब्लॉगरों की धूम होती थी....साहित्य प्रेमियों की जान ब्लोगर अभी भी निहारता लोगों के कदमचाप पर अकेला बैठा रहता....शायद पूछता ही ना कोई उसको....!!!
नयी जेनेरेशन तो मानो जानती ही ना हो ब्लॉग होता क्या हैं....पूछने पर कहते राहुल ब्लॉगिंग क्या होता हैं...एक जमाने मे बस लोगों का रुतबा होता था...पर साहित्य जबसे कलम-दवात छोड़कर....कीबोर्ड की कुंजियों पर आ धमकी तो लगा जैसे...आभासी दुनिया मे लोग अपने अंतःकोणों को न्यूनकोण से भला अधिककोण मे रखने मे ज्यादा सहज सुखद महसूस करते....!!
पन्नो को त्यागकर चमकते स्क्रीन पटल पर सीधा कविता गोंजने मे उतना आनद कहाँ आता....!!!
- मिश्रा राहुल

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज मंगलवार (03-12-2013) की 1450वीं में मंगलवारीय चर्चा --१४५० -घर की इज्जत बेंच,किसी के घर का पानी भरते हैं में "मयंक का कोना" पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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