आलस्य तो विलासिता का प्रतिरूप हैं उसका त्याग करे...और जुट जाये स्वयं ही कार्यो की गुत्थी सुलझाने मे....!!!
मनुष्य का जन्म ही एक गुमनाम कार्य को पाने के लिए हुआ हैं...तो उससे ना भागे...यदि किसी कार्य मे आपको लगना हैं तो मन से लग जाये अन्यथा छोड़ दे अधूरे मन से किया गया कोई भी कार्य सिद्धा हो ही नहीं सकता...!!!
जीवन लंबा होने से कुछ नहीं होता....जीवन छोटा और सटीक हो...जीतने भी महाआत्मा हुई हैं सबकी अल्पकाल मे ही मृत्यु को प्राप्त हुए हैं...!!
भगत सिंह...24 विवेकानंद...40 नेपोलियन...50 लेनिन...60....!!!
तो एक नए दिन की शुरुआत एक उम्दा सोच से करे...!!!
मिश्रा राहुल
(ब्लोगिस्ट एवं लेखक)
ReplyDeleteजब तीन यार मिल जाएँ तो होगा धमाल
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