महादेव अब थाम भी लो ये प्रलय....वरना उठ जाएगा तेरा वजूद...लोग डरेंगे तेरी दर पे आने से....!!!
भारत निर्माण....कैसेहोगा...देश चौपट पार्टी के हाथो मे...सारी की सारी नौटंकीबाज...
एक मे विद्रोह...तो दूसरी महा घूसखोर...खैर अभी तो विपदा की स्थिति मे 1000 करोड़ की घोषणा तो हुई सरकारी पॉकेट मनी से...जो गुल्लक फोड़ सीधा चुनावी खैरातों मे लुटाया जाता...वोटर खरीदने खातिर...!!
चलो खैर चलते-चलते:
तबाही की इंतेहा हुई ...चल पहुँच तो गयी सरकार..
लोग बैठे सोचत रहे...ये मुट्ठी भर देगी हमार...!!
उलझी उलझी व्याख्या मे...सुलझी सुलझी करार....
नीयत रोज़ ये पूछ रही....कब धोखा देना यार...!!
मिश्रा राहुल
(ब्लोगिस्ट और लेखक)
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