हम अक्सर लोगो को दूसरों जैसा बनने की चाहत करते देख सुना हैं...पर मैं खुद इस बार का विरोधी हूँ...दुनिया नकल से ज्यादा अकल की पूजा करती....
दूसरों की नकल करने मे आप उसकी बस कार्बन काफी ही रह जाते....क्यूंकी प्रतिलिपियाँ अक्सर कूदे दान मे ही जाती हैं....सिर्फ मूल प्रति ही संरक्षित की जाती....!!!
संगीत का ही उदाहरण देते हैं....कितने गायक आते चले जाते छाप वही छोड़ता जिसकी आवाज़ सुरीली नहीं होने के बावजूद थोड़ीसी हटके होती....!!!
जैसे....बाबुल सुपरियो और कुमार सानु का उदाहरण लेते हैं....बाबुल की आवाज़ हु-ब-हु कुमार सानु से मिलती पर उनको शायद ही आजकल कोई जानता....!!!
मिश्रा राहुल
(ब्लोगिस्ट एवं लेखक)
No comments:
Post a Comment