एक आवाज़ हैं.....एक एहसास.....एक चीख...!!!
नाम भी साफ हैं.....अभी तक दामन पर दाग नहीं.....इतने ऊपर उठाने के बावजूद बिलकुल घमंड नहीं.....क्या व्यक्तित्व रहा.....!!!
खेलने का ढंग भी तो ऐसा होता..... मानो पूरा भारतवर्ष ही कुछ देर खातिर थम गया हो.....एकाएक लगता घड़ी की सुई रुक गयी हो...उनका खेल देखने को....वो भी एक पनवड़िए के गुमटी से टेक लगाए.....चाचा के उपले ऊँघे चाय की इलायची वाली खुसबू......हर सनसनाती गेंद जब विकेटों के इर्द-गिर्द घूमती हुई सबकी धडकनों को चौकन्ना कर जाती.....!!!
एक टीवी के आजू-बाजू सौ-डेढ़ सौ लोग ऐसे चिपके हो मानो लॉटरी का पैसा लेने खातिर आए हो.....ऑफिस-बॉक्सऑफिस सब रुके रहते इस कदर मानो किसी होलीवुड मूवी के हटने के इंतेजार मे लगे हो.....!!!
शतक पर चिल्लाना....विकेटों पर रूठना.....सब देखा हैं हमने.....!!!
या यूं कहें क्रिकेट के सचिनयुग को जिया हैं हमने.....!!!
Legends Never Retire.....
- मिश्रा राहुल (फ्रीलांसर लेखक)
No comments:
Post a Comment