काफी श्रद्धा और भक्ति का परिचायक गोरखनाथ का खिचड़ी मेला...
# मकरसंक्रांति का पर्व गोरखपुर वासियों के लिए भी काफी महत्वपूर्व हैं...!!!
# कुछ लोग तो इसे मिनी कुम्भ भी कहते हैं...!!!
# मकर संक्रांति से शुरू होकर एक माह तक चलने वाले इस मेले में बड़ी संख्या में लोग अपनी उपस्थिति दर्ज कर बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाते हैं..!!!
# सोमवार (14 जनवरी-2013) को दिन 12.55 पर सूर्य भगवान धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसके 8 घंटे पहले और बाद का काल पुण्य काल होगा।
# खिचड़ी मेले में जनवरी 14, 22 (बुढ़वा मंगल)26, 27 और 29 जनवरी, 10 फरवरी को मौनी आमवस्या और 15 फरवरी को बसंत पंचमी में के दिन बड़ी संख्या में गुरु गोरक्षनाथ के दशनार्थ श्रद्धालु आते हैं।
खिचड़ी की कहानी:
है कि खिलजी के आक्रमण के समय नाथ योगियों को खिलजी से संघर्ष के कारण भोजन बनाने का समय नहीं मिल पाता था। इससे योगी अक्सर भूखे रह जाते थे और कमज़ोर हो रहे थे। इस समस्या का हल निकालने के लिए बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जी को एक साथ पकाने की सलाह दी। यह व्यंजन काफी पौष्टिक और स्वादिष्ट था। इससे शरीर को तुरंत उर्जा भी मिलती थी। नाथ योगियों को यह व्यंजन काफी पसंद आया। बाबा गोरखनाथ ने इस व्यंजन का नाम खिचड़ी रखा। झटपट बनने वाली खिचड़ी से नाथयोगियों की भोजन की समस्या का समाधान हो गया और खिलजी के आतंक को दूर करने में वह सफल रहे। खिलजी से मुक्ति मिलने के कारण गोरखपुर में मकर संक्रांति को विजय दर्शन पर्व के रूप में भी मनाया जाता है...!!!
# यह बात ज्यादा माईने नहीं रखती कि किसी त्यौहार को मनाने के पीछे क्या कहानी छुपी हैं..पर हर त्यौहार एक नया सीख लेने का पैगाम ले आता...!!!
# कुछ लोग तो इसे मिनी कुम्भ भी कहते हैं...!!!
# मकर संक्रांति से शुरू होकर एक माह तक चलने वाले इस मेले में बड़ी संख्या में लोग अपनी उपस्थिति दर्ज कर बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाते हैं..!!!
# सोमवार (14 जनवरी-2013) को दिन 12.55 पर सूर्य भगवान धनु से मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसके 8 घंटे पहले और बाद का काल पुण्य काल होगा।
# खिचड़ी मेले में जनवरी 14, 22 (बुढ़वा मंगल)26, 27 और 29 जनवरी, 10 फरवरी को मौनी आमवस्या और 15 फरवरी को बसंत पंचमी में के दिन बड़ी संख्या में गुरु गोरक्षनाथ के दशनार्थ श्रद्धालु आते हैं।
खिचड़ी की कहानी:
है कि खिलजी के आक्रमण के समय नाथ योगियों को खिलजी से संघर्ष के कारण भोजन बनाने का समय नहीं मिल पाता था। इससे योगी अक्सर भूखे रह जाते थे और कमज़ोर हो रहे थे। इस समस्या का हल निकालने के लिए बाबा गोरखनाथ ने दाल, चावल और सब्जी को एक साथ पकाने की सलाह दी। यह व्यंजन काफी पौष्टिक और स्वादिष्ट था। इससे शरीर को तुरंत उर्जा भी मिलती थी। नाथ योगियों को यह व्यंजन काफी पसंद आया। बाबा गोरखनाथ ने इस व्यंजन का नाम खिचड़ी रखा। झटपट बनने वाली खिचड़ी से नाथयोगियों की भोजन की समस्या का समाधान हो गया और खिलजी के आतंक को दूर करने में वह सफल रहे। खिलजी से मुक्ति मिलने के कारण गोरखपुर में मकर संक्रांति को विजय दर्शन पर्व के रूप में भी मनाया जाता है...!!!
# यह बात ज्यादा माईने नहीं रखती कि किसी त्यौहार को मनाने के पीछे क्या कहानी छुपी हैं..पर हर त्यौहार एक नया सीख लेने का पैगाम ले आता...!!!
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