विमान हादसे की वजहों का पता लगाने में दो डिवाइस बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं- एयरक्राफ्ट का फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (एफडीआर) और कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर (सीवीआर)। इन्हीं दो डिवाइसों को मिलाकर 'ब्लैक बॉक्स' कहा जाता है।
1. ब्लैक बॉकस डेटा कलेक्शन के डिवाइस हैं। इन्हें कहा भले ही 'ब्लैक बॉक्स' जाता है, लेकिन इनका रंग काला नहीं होता, बल्कि इसे चमकीले नारंगी रंग से रंगा जाता है ताकि जरूरत पड़ने पर मलबे से खोज निकालने में आसानी हो। इसे विमान के पिछले हिस्से में फिट किया जाता है। आमतौर पर विमान का यही हिस्सा हादसे में सबसे कम प्रभावित होता है।
2. ये दोनों डिवाइस क्रैश-प्रूफ मेमरी यूनिट्स होते हैं। क्रैश के बाद यही दोनों डिवाइस सुरक्षित रह पाते हैं। दोनों डिवाइसों को इस तरह बनाया जाता है कि ये तेज आग, भीषण क्रैश और कई टन मलबे के दबाव के बावजूद नष्ट नहीं होते।
3. दोनों रिकॉर्डरों को धातुओं के चार लेयरों द्वारा सुरक्षित बनाया जाता है- A. एल्यूमिनियम B. सूखा बालू C. स्टेनलेस स्टील और D. टाइटेनियम।
4. ब्लैक बॉक्स कॉकपिट के अंदर होने वाली सभी बातचीत, रेडियो कम्यूनिकेशन, उड़ान का विवरण जैसे- उसकी स्पीड, इंजन की स्थिति, हवा की गति, ऊंचाई, रेडार की स्थिति इत्यादि रिकॉर्ड करता है।
5. विमान का ब्लैक बॉक्स मिलने के साथ ही जांचकर्ता उसे लैब में ले जाते हैं जहां वे इनमें रिकॉर्ड किए गए सभी डेटा को डाउनलोड करते हैं और फिर घटनाओं की कड़ी जोड़ने की कोशिश करते हैं।
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