"चमकते आँखों में सचिन के सतकों की चर्चा ज़रूर उठ जाती...
एक अभिनव बिंद्रा से निशाने पर सारी संसद कायल हो जाती...
कहा चली जाती न्याय खातिर निहित परिभाषाये...
की वो सब भी चौसट की खेल में संग अनेको धरमराज ले जाती"...
आखिर क्या होगा इनके परिवार का...क्या न्याय और इमानदारी की ये सजा होती की आखिर देश का कानून है सब थोड़े ही तोड़ सकते हैं...आज हमारी संसद ने पहले दिन के काम-काज में फिलिपिन्स तक के तूफ़ान पर शोक व्यक्त किया लेकिन भारतमाता की इस बेटी "मधुरानी" के उन आँसुओं पर एक शब्द भी नहीं कहा जो इन्ही राजनैतिक नपुन्सको के दलालों की वज़ह से इस की आखोँ में उतरें हैं...
पर रुक ना तू लिए जा मेरी जुबान के तीर....जो हमने नाप कर तेरी और हैं फेंके...
"उड़ चल हवा में तू मत देखकर नीचे,Itz little bit macabre,astonishing as well irony feeling that a prestigious stand of our nation had thrashed away by these useless dirty political sword..offo..Why and Upto When these ill magnate in politics will behave as magnet to attract
यूँ देख मगरो से लदे समुन्दर..
कहीं तेरे पाँव पकड़ कर न खीचे"...
the civil worker...this killing dagger will crush the society...How can an ordinary common man breath in this toxicated corrupt society...
A Tribute to "Narendra Kumar"..IPS...
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